कलशयात्रा के साथ त्रिदिवसीय शिव आराधना महोत्सव का शुभारंभ

कलशयात्रा के साथ त्रिदिवसीय शिव आराधना महोत्सव का शुभारंभ

मुंगेली - माण्डूक्य ऋषि की तपःस्थली  हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप मदकू में प्रतिवर्षानुसार महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर त्रिदिवसीय शिव आराधना महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसका शुभारंभ आज कलशयात्रा के साथ हुआ। प्रातः महामाया मंदिर मदकू एवं परसवानी से बाजे गाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई।

जिसमें महामाया मंदिर मदकू से मदकू, ठेलकी, बासिन, बड़ियाडीह, देवाकर, लमती, किरना, मदवानी दरूवनकापा, बारगांव एवं महामाया मंदिर परसवानी से परसवानी, अकोली, दतरेंगी, कड़ार, कोटमी कुम्हरखान,, जरहागांव, गोढ़ी, लमती, सिंगारपुर आदि 25 गांवों की बालिका एवं महिलायें सम्मिलित हुई। कलशयात्रा के साथ चल रहे करमा नृत्य दल विशेष आकर्षण का केंद्र था।
    कलशयात्रा के यज्ञमण्डप में प्रवेश के साथ यज्ञारंभ हुआ। तीन आवृत्ति रूद्राभिषेक पश्चात हवन हुआ। आयोजन में आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भण्डारे में प्रसाद ग्रहण किया।


    उक्त आयोजन में आसपास के ग्रामों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु आयोजन समिति के पदाधिकारी एवं सदस्य जुटे हुए हैं।
   त्रिदिवसीय शिव आराधना महोत्सव के द्वितीय दिवस महाशिवरात्रि को रूद्राभिषेक, हवन एवं रात्रि में अहोरात्र- रूद्राभिषेक किया जावेगा।
  द्वीप क्षेत्र में की जाने वाली साधना का विशेष महत्व 
  मदकूद्वीप चारों तरफ़ शिवनाथ नदी से घिरा हुआ है और यही पर आकर शिवनाथ नदी दक्षिण से आकर उत्तर-पूर्व की ओर कोण बनाते हुए ईशान कोण में बहने लगती है।
हिन्दु धर्म में एवं हमारे प्राचीन वास्तु शास्त्र के हिसाब से जिस जगह में कोई नदी ईशान कोण में बहती है उसे पवित्र माना जाता है।  हिन्दु धर्म में ऐसे ही स्थान पर मन्दिरो, बड़े नगरों एवं राजधानियों की स्थापना की जाती रही है। २१ डिग्री को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है , अयोध्या में सरयू २२ डिग्री पर है, प्रयाग मे २३ डिग्री है | यहा़ँ माण्डूक्य द्वीप में यह २२ डिग्री पर है | यही कारण है कि पुरातन काल से ही इस स्थल का सनातन धर्म मानने वालों के लिये  सदा से विशेष आध्यात्मिक महत्व का क्षेत्र रहा है | धार्मिक स्थल होने के कारण यहा पूजा पाठ एवं विशाल यज्ञ होते थे।