*महिला दिवस पर विशेष*: संघर्ष कर मुकाम हासिल करने वाली महिलाएं, विशेष लेख

*महिला दिवस पर विशेष*: संघर्ष कर मुकाम हासिल करने वाली महिलाएं, विशेष लेख

महिला दिवस पर विशेष ये सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि नारी शक्ति का जश्न मनाने का अवसर है. इतिहास गवाह है कि महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा चुकी हैं. फिर चाहे वह रानी लक्ष्मीबाई का साहस हो, कल्पना चावला की उड़ान हो या मैरी कॉम की मेहनत. महिला सशक्तिकरण का अर्थ सिर्फ शिक्षा और नौकरी तक सीमित नहीं है. ये महिलाओं को अपने फैसले खुद लेने, आत्मनिर्भर बनने और समान अवसर प्राप्त करने का अधिकार देने से जुड़ा है. एक शिक्षित और सशक्त महिला न केवल अपना जीवन संवारती है, बल्कि पूरे समाज को समृद्ध बनाती है. हमें ये समझना होगा कि सशक्त महिला ही एक सशक्त समाज की नींव रखती है. इसलिए, महिलाओं को आगे बढ़ाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व हम सभी का है. आइए, हम संकल्प लें कि हम लैंगिक समानता की दिशा में प्रयास करेंगे और महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर देंगे.

गरिमा ठाकुर अतिरिक्त तहसीलदार


नारी शक्ति  का अनादि काल से ही महत्तव उजागर  होता रहा हैं, चाहे महिषासुर का संहार हो या रानी लक्ष्मी बाई और दुर्गावती के रूप में दुश्मनों से लोहा लेना हो, प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह देश चलाना हो,या कल्पना चावला तथा सुनीता विलियम्स की तरह अंतरिक्ष जाना हो। पीटी उषा से लेकर वर्तमान समय तक कई महिला खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हैं।    मेरे द्वारा भी प्रशासनिक अधिकारी के रूप में जनकल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने में अधिक से अधिक जिम्मेदारियां निभाने की कोशिश की जाती है। महिला दिवस  नारी सशक्तिकरण  का प्रतीक माना जा सकता है।

तखतपुर एसडीएम ज्योति पटेल


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।। महिलाओं की सशक्तिकरण  केवल एक सामाजिक आवश्यकता नहीं है बल्कि एक प्रगतिशील समाज की पहचान है। हमें ये प्रयास करना चाहिए कि महिला दिवस केवल एक दिन तक सीमित ना रहे बल्कि प्रतिदिवस हमें उनका धन्यवाद ज्ञापन करना चाहिए। क्योंकि एक महिला ही एक मकान को घर बनती है। और घर वह स्थान है जहां हर व्यक्ति स्वयं को  सुरक्षित महसूस करती है। एवं नए युग में नवाचार के साथ महिला घर और कार्यस्थल दोनों की जवाबदारी बखूबी संभाल रही है। एवं भारत देश वह धरा है जहां महिला को हमेशा देवी का दर्जा दिया गया है।

मैं एक पंछी नहीं पंछी की भांति हूं। पिंजरे में हूं तो मुझसे भला शांत कौन है गर खुले आसमान के नीचे मुझसा बेफिक्र कौन है। श्रद्धा सिंह  द्वारा लिखित कविता


सभी साहसी, दृढ़संकल्प महिलाओं को सर्वप्रथम महिला दिवस की शुभकामनाएं। हम सभी हर घर और  कार्यस्थल की आत्मा है। होममेकर से लेकर राजनीतिक व प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर हम सभी ने अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाया है और निभाते रहेंगे। घर परिवार की मर्यादाओं, समाज के सकारात्म दृष्टिकोण को सहेजते हुए भी महिलाएं अपना कर्तव्य निभाकर भी वर्किंग वूमेन कहला सकती हैं। अंत में सभी महिलाओं को कहना चाहूंगी कि... सुनो स्त्रियां इतना कामयाब होना कि दूसरों के चेहरे में मुस्कान ला सको।

नेहा कौशिक नायब तहसीलदार