यूपी चुनाव परिणाम: कुछ यक्ष प्रश्न खड़े करता है? एडवोकेट प्रसून चतुर्वेदी
यू पी चुनाव परिणाम : कुछ यक्ष प्रश्न खड़े करता हैं ??
सभी दिग्गज राजनीतिक पंडितों ने इन चुनाव परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं,उसी तारतम्य सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट प्रसून चतुर्वेदी ने भी इस परिणाम पर कुछ प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं। जिनका उत्तर आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को और राष्ट्र भक्त आम जन मानस को भी प्राप्त होना चाहिए कि ऐसे क्या कारण हुए की यूपी तो बिखरा पर अयोध्या से भी आप गायब हो गए जिसे आपने और देश प्रदेश वासियों ने वर्ल्ड होली टूरिज्म के पहले स्थान पर खड़ा कर दिया हो।जहां के कुछ निवासी प्रतिदिन औसतन 300₹ कमाते थे आज होम स्टे,परिचालन,भोजन आदि से प्रतिदिन 6/7 हजार ₹ कमा रहे हैं। क्या इन परिणामों में और भी कारण हैं ?
क्या उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टिकिट वितरण में नजरंदाज किया गया?
क्या उत्तरप्रदेश का हिंदू जातिगत समीकरणों में उलझ गया ? क्या मुस्लिम जमात ने गज़वा ए हिंद पर अमल कर दिखाया हैं ?
सवालों के साथ ये चर्चा भी रही हैं की भारतीय राष्ट्रवादी जनता और प्रधानमंत्री मोदी अपने 75 वर्ष उपरांत उत्तराधिकारी के रूप में योगी को देख रहे थे,शायद इसीलिए ही कुछ ऐसे उनके कद को कमतर करने की कुचेष्टा हुई हैं। दूसरा सभी पंथ समुदाय आदि से ऊपर उठकर हिंदू समाज ने 2014 के चुनावों में अपनी एकता प्रदर्शित की जो की पिछले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में भी देखने मिली हैं। 2022 तक भी यही एकता थी,हिंदुत्व से ही आप हैं अन्यथा हैदराबाद के ओवैसी भी ये कह चुके हैं की मोदी जी हिमालय चले जाएंगे,योगी जी आश्रम तब कौन आएगा, शायद इसी तरह गज़वा ए हिंद को अमल में लाने का कुत्सित प्रयास हो क्योंकि इसमें जहां तक आप सीटों का आकलन करेंगे तो ये पाएंगे की मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में यह फतवा काम किया हैं यदि यह सही हैं तो आगामी पांच वर्ष हैं आपके सम्हलने और सम्हालने के...
जय हिन्द!
"प्रसून चतुर्वेदी अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय"