*राजस्व सचिव से याचिका खारिज होने के बाद मिशन अस्पताल में रह रहे 34 परिवारों को मकान खाली करने नोटिस, निगम ने भी डिस्मेंटल के लिए लिखा पत्र*
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बिलासपुर। मिशन अस्पताल परिसर पर तोड़फोड़ और बेदखली की कार्यवाही के खिलाफ राजस्व सचिव के यहां की गई क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल की याचिका राजस्व सचिव के यहां से खारिज होने के बाद नजूल विभाग ने मिशन अस्पताल परिसर में रह रहे 34 परिवारों को बीस फरवरी तक मकान खाली करवाने नोटिस जारी किया है। इसके अलावा निगम प्रशासन ने भी डिस्मेंटल से बच गए स्ट्रक्चर से लोगों की जानमाल को खतरा बता तोड़फोड़ के लिए नजूल विभाग को पत्र लिखा है।
बिलासपुर के चर्चित मिशन हॉस्पिटल के बेशकीमती 11 एकड़ जमीन के मामले में क्रिश्चियन बोर्ड ऑफ़ वोमेन हॉस्पिटल की याचिका राजस्व सचिव ने खारिज कर दी है। याचिका खारिज होने के बाद नजूल तहसीलदार ने मिशन अस्पताल परिसर में रह रहे 34 परिवारों को 20 फरवरी तक अस्पताल परिसर में बने मकानों को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। दूसरी तरफ नगर निगम आयुक्त अमित कुमार ने भी नजूल विभाग को पत्र लिखकर डिस्मेंटल होने से बची 20% बिल्डिंग को जानमाल का नुकसान होने का हवाला दे तोड़ने हेतु अनुमति मांगी है। नजूल विभाग की तरफ से सभी 34 परिवारों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। इस जमीन के खाली होने के बाद जिला प्रशासन के द्वारा यहां ऑक्सीजोंन और नालंदा लाइब्रेरी बनवाने की योजना है।
मिशन अस्पताल की स्थापना साल 1885 में हुई थी। इसके लिए क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल बिलासपुर ,तहसील व जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ को जमीन आबंटित की गई थी। यह मोहल्ला चांटापारा शीट नंबर 17, प्लाट नंबर 20/1 एवं रकबा 382711 एवं 40500 वर्गफीट है। 1966 में लीज का नवीनीकरण कर साल 1994 तक लीज बढ़ाई गई थी। पुलिस की अवधि 31 अप्रैल 1994 तक के लिए थी। जिसमें मुख्य रूप से निर्माण में बदलाव एवं व्यवसायिक गतिविधियां बिना कलेक्टर की अनुमति के न किए जाने की शर्त थी। पुलिस की नवीनीकरण उपरांत सीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20 रकबा 474790 में से 92069 वर्गफीट अन्य व्यक्ति को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। इसके साथ ही किराए पर अन्य प्रतिष्ठानों को दे इसे कमाई का माध्यम बना लिया गया था। 1994 को लीज खत्म होने के बाद 30 वर्षों तक लीज का नवीनीकरण नहीं करवाया गया था।
मिशन अस्पताल के लीज का मामला काफी चर्चाओं में रहा था। यह जमीन शहर के मध्य में स्थित है। जिसे सेवा के नाम से 11 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी। लीज पर जमीन लेकर डायरेक्टर रमन जोगी ने इसे चौपाटी बनाकर किराए पर दे रखी थी। एक रेस्टोरेंट भी इस पर संचालित हो रहा था। जिससे लाखों रुपए किराए के रूप में वसूले जा रहे थे। लीज की शर्तों का उल्लंघन कर व्यावसायिक उपयोग करने पर कलेक्टर अवनीश शरण की तिरछी नजर पड़ी। जब इसके रिकॉर्ड मंगवाए गए तब चौंकाने वाले खुलासे हुए। सन 1966 में लीज का नवीनीकरण साल 1994 तक के लिए कर लीज बढ़ाई गई थी। 31 अप्रैल 1994 तक लीज की अवधि थी। लीज की अवधि बढ़ाने के समय इसमें कई शर्तें भी लागू की गई थी। पर शर्तों का उल्लंघन कर न केवल इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था बल्कि 92069 वर्ग फिट अन्य व्यक्तियों के नाम रजिस्टर विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी लीजधारक कब्जे पर कायम था। जिस पर कलेक्टर के निर्देश पर निगम कमिश्नर अमित कुमार, बिलासपुर एसडीएम पीयूष तिवारी, नजूल अधिकारी एसएस दुबे, नजूल तहसीलदार शिल्पा भगत की टीम ने अस्पताल के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की।
अधिग्रहण की कार्यवाही के खिलाफ क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल ने पहले सीधे हाईकोर्ट में स्टे हेतु याचिका लगाई थी। जिसे हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि सीधे हाई कोर्ट आने की बजाय नीचे की अथॉरिटी में अपील किया जाए और थ्रू प्रॉपर चैनल हाईकोर्ट आया जाए। जिसके बाद संभाग कमिश्नर नीलम नामदेव एक्का ने मिशन अस्पताल के अधिग्रहण पर रोक लगा दी थी। जिस पर काफी बवाल मचा और नीलम नामदेव एक्का का तबादला कर दिया गया। एक्का के तबादले को सरकार की नाराजगी से जोड़कर देखा गया। जिसके बाद प्रभारी आयुक्त बन कर आए महादेव कावरे ने सुनवाई के बाद स्टे वेकेंट कर दिया। स्टे वेकेंट होने के बाद जिला प्रशासन द्वारा एक बार फिर अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू हुई और मिशन अस्पताल का निगम से सर्वे करवाया गया। यहां जो बिल्डिंग उपयोग के लायक थी वहां निगम का जोन दफ्तर खोल दिया गया। इसके अलावा जो बिल्डिंग उपयोग के लायक नहीं थी उसे डिस्मेंटल करना जिला प्रशासन ने शुरू कर दिया। 80% बिल्डिंग डिस्मेंटल होने के बाद क्रिश्चियन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल हाईकोर्ट से स्टे ले आया।
हाईकोर्ट में जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में क्रिश्चियन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल ने बताया था कि संभाग कमिश्नर के पास अपील खारिज होने के बाद उनकी अपील राजस्व सचिव के पास लंबित है, बावजूद इसके तोड़फोड़ की कार्रवाई की जा रही है। सुनवाई के पश्चात सिंगल बेंच ने तोड़फोड़ पर राजस्व सचिव के यहां से प्रकरण के निराकरण तक के लिए स्टे दे दिया। इसके साथ ही राजस्व सचिव को 15 दिनों में प्रकरण के निराकरण के निर्देश दिए। हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप जिला एवं निगम प्रशासन ने तोड़फोड़ की कार्रवाई रोक दी, पर तब तक 80% भवन डिस्मेंटल हो चुकी थी।
नगर निगम के सर्वे के आधार पर कार्यवाही:–
नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार के निर्देश पर मिशन अस्पताल परिसर का निगम के इंजीनियरों और एक्सपर्ट्स की टीम ने निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद दो रिपोर्ट नजूल विभाग को निगम के द्वारा सौंपी गई थी।। पहली रिपोर्ट में मिशन अस्पताल कंपाउंड में निवासी 34 परिवारों की जानकारी थी। दूसरी रिपोर्ट में जर्जर हो चुकी भवनों की जानकारी थी। निगम ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि पूर्व में शुरू की गई अतिक्रमण तुड़वाने की कार्यवाही के दौरान जर्जर भवनों को 80% तोड़ा जा चुका है। बाकी जो 20% स्ट्रक्चर खड़ा है उससे जानमाल को नुकसान हो सकता है।
निगम की सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद भी राजस्व सचिव के यहां मामला लंबित रहने की वजह से हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार आगे की कार्यवाही को जिला प्रशासन ने रोक कर रखा था। पिछले दिनों राजस्व सचिव के यहां से क्रिश्चियन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल की याचिका खारिज होने के बाद अब नजूल तहसीलदार के न्यायालय ने धारा 248 के तहत मिशन अस्पताल परिसर में रह रहे 34 परिवारों को 20 फरवरी तक मकान खाली करवाने के लिए नोटिस जारी किया है। इसके अलावा डिस्मेंटल से बच गए बाकी स्ट्रक्चर को भी निगम जल्द ही तोड़ सकता है।
ब्यूरो रिपोर्ट