तुर्की में एक और चर्च को मस्जिद में बदल रहे 'खलीफा' एर्दोगान, मुस्लिम देशों ने साधी चुप्‍पी, अयोध्‍या पर बहाए थे आंसू

तुर्की में एक और चर्च को मस्जिद में बदल रहे 'खलीफा' एर्दोगान, मुस्लिम देशों ने साधी चुप्‍पी, अयोध्‍या पर बहाए थे आंसू

अंकारा: मुस्लिम देशों का 'खलीफा' बनने के सपने देख रहे तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगान ईसाइयों पर मुस्लिमों की सर्वोच्‍चता को दिखाने के लिए एक और प्राचीन चर्च को मस्जिद में बदल रहे हैं। आगामी मई महीने में तुर्की के इस्‍तांबुल शहर में स्थित एक चर्च चोरा को मस्जिद में बदलने जा रहे हैं। तुर्की के सरकारी कार्यालय ने इसका ऐलान किया है। इस चर्च को मस्जिद में बदलने का काम अंतिम चरण में है और मई तक इसे इस्‍लामिक धार्मिक स्‍थल के रूप में बदल दिया जाएगा। इससे पहले तुर्की की एर्दोगान सरकार ने हागिया सोफिया चर्च को भी मस्जिद में बदल दिया था जिसका दुनियाभर में काफी विरोध हुआ था।

तुर्की जहां एक के बाद एक चर्च को मस्जिद में बदल रहा है, वहीं इस्‍लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने इस पर चुप्‍पी साध रखी है। यह वही ओआईसी है जिसने अयोध्‍या में राम मंदिर बनने पर आंसू बहाए थे। मई में इसको मस्जिद बनाने का पूरा होने के बाद पहली बार नमाज पढ़ने की डेट का ऐलान किया जाएगा। इससे पहले दावा किया गया था कि 23 फरवरी को चोरा चर्च के अंदर नमाज पढ़ी जाएगी। यह एक कैथलिक चर्च है जिसे छठवीं शताब्‍दी में बनाया गया था। सन 1305 से 1320 के बीच में इसकी दीवारों पर ईसा मसीह के चित्र बनाए गए थे।

एर्दोगान के फैसले पर ओआईसी ने चुप्‍पी साधी


इसके बाद 1511 में चोरा चर्च को मस्जिद में बदल दिया गया था। सन 1945 में मंत्रियों की सिफारिश के बाद चोरा चर्च को म्‍यूजियम में बदल दिया गया था। इसके बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र के विशेषज्ञों ने बड़े पैमाने पर इस चर्च की मरम्‍मत का काम किया था। साल 2019 में एर्दोगान के ही राष्‍ट्रपति रहने के दौरान तुर्की की राज्‍यों की परिषद ने 1945 के म्‍यूजियम के फैसले को खारिज कर दिया। इसके एक साल बाद ही एर्दोगान ने चोरा चर्च को मस्जिद में बदलने का ऐलान कर दिया। विश्‍लेषकों का कहना है कि एर्दोगान हागिया सोफिया और अब चोरा चर्च को मस्जिद में बदलकर इस्‍लाम की ईसाइयत पर सर्वोच्‍चता को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

एक तरफ जहां एर्दोगान चर्च को मस्जिद में बदलने के विवादित फैसले ले रहे हैं, तो दूसरी ओर मुस्लिम देशों का संगठन ओआईसी इस मामले पर पूरी तरह से चुप्‍पी साधे हुए है। इससे पहले भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले ओआईसी ने अयोध्‍या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर बनाने की कड़ी आलोचना की थी। ओआईसी के साथ पाकिस्‍तान ने भी राम मंदिर बनाने का विरोध किया था। पाकिस्‍तान भी तुर्की के इस विवादित कदम पर मुंह बंद करके बैठा हुआ है।