सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन पेसा पर वनवासियों की भूमिका – अटल श्रीवास्तव
बिलासपुर: आज दिनांक को कोटा विकासखण्ड के ग्राम कंचनपुर में PRERAK समिति व सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति के संयुक्त तत्वावधान में “ सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन एवं पेसा " अधिनियम पर एक दिवसीय जिला स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया |
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय श्री अटल श्रीवास्तव जी विधायक कोटा ,अध्यक्षता माननीय श्री आदित्य दीक्षित जी अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी कोटा ,विशिष्ट अतिथि माननीय श्री संत कुमार नेताम जी सदस्य छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग , माननीय श्री लक्ष्मी कुमार जायसवाल अध्यक्ष विकासशील फाऊण्डेशन ,
,श्रीमती रेवती भानु सरपंच ग्राम पंचायत करका,श्री कमलेश्वर भानु सरपंच प्रतिनिधि ग्राम पंचायत करका,श्री राजकुमार मरकाम उप सरपंच ग्राम पंचायत करका ,श्री राजकुमार मरकाम अध्यक्ष सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति करका,
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अटल श्रीवास्तव जी विधायक कोटा, के दवारा सँयुक्त रूप से छत्तीसगढ़ महतारी के प्रतिमा में माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित करके किया गया ।
उदबोधन के पूर्व बाल कलाकारों के दवारा आदिवासी पारंपरिक नृत्यकी मनोरम प्रस्तुति की गई
मुख्य अतिथि - श्रीअटल श्रीवास्तव जी ने अपने उदबोधन में कहा कि पेसा कानून हम आदिवासियों के लिए वरदान है ,उन्होंने उपस्थित लोगों को अवगत करते हुए कहा की हमारे कोटा विकासखण्ड क्षेत्र के 85 पंचायतों में पेसा कानून लागु की गई है पेसा कानून के अंतर्गत ग्राम सभा की संरचना , शक्ति एवं कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए प्रत्येक ग्राम व ग्राम सभा को अनिवार्य होगा इससे गाँव के सभी महिला पुरुष की भागीदारी होना आवश्यक है , प्रत्येक ग्राम सभा में अध्यक्ष का चुनाव किया जाना सुनिश्चित करना होगा | जिसमें ग्राम सभा में 2 कार्यकारी समितियां रहेगी 1 संसाधन योजना और प्रबंधन समिति (RPMC), 2.शांति एवं न्याय समिति, ग्राम सभा द्वारा तय कर निर्माण किया जाना है, समिति के कार्यो पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई |
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आदित्य दीक्षित जी ने दुरांचल क्षेत्र से शामिल लोगो को संबोधित करते हुए उन्होंने सामुदायिक वनाधिकार पर फोकस कर कहा की वन अधिकार की मान्यता अधिनियम 2006 व नियम 2007 संशोधित नियम 2012 के तहत सामुदायिक वनाधिकार है,जिसके तहत धारा 5 को परिभाषित करते हुए नियम (क )(ख) (ग)( घ) पर विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए इस कानून के तहत 4 प्रकार के अधिकारों को बताया गया जिसमें ब्यक्तिगत वनाधिकार, सामुदायिक वनाधिकार, सामुदायिक वन संसाधन अधिकार व विकास के लिए अधिकार प्राप्त किया जा सकता है , सामुदायिक दावा प्रारम्भ करने के लिए ग्राम पंचायत द्वारा प्रत्येक मजरा,टोला, पारा स्तर पर ग्राम सभा आहूत की जावेगी ,साथ ही ग्राम सभा की गणपूर्ति ग्राम सभा के 50%से होगी जिनमे एक तिहाई महिलाएं होना अनिवार्य है|जिसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों ( जल जंगल,जमीन, का प्रबंधन /संरक्षण / संवर्धन करना हम सभी की जिम्मेदारी है |
आदित्य दीक्षित उन्होंने ब्याक्तिगत वनाधिकार पर फोकस करते हुए कहा की वनाधिकार कानून 2006 के अनुसार 13 दिसंबर, 2005 से पूर्व वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजाति के सभी समुदायों को वनों में रहने और आजीविका का अधिकार मिला है पर दूसरी ओर कानून की धारा 2 (ण) के अनुसार अन्य परम्परागत वन निवासी को अधिकार के लिए (उक्त अवधि से पहले वन क्षेत्र में काबिज रहे हो) तीन पीढ़ियों (एक पीढ़ी के लिए 25 साल) से वहां रहने का साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद होगा।
संत कुमार नेताम ने पेसा पर संबोधित करते हुए कहा की पेसा कानून समुदाय की प्रथागत धार्मिक एवं परमपरागत रीतियों में संरक्षण पर असाधारण जोर देता है , पेसा अधिनियम-1996 संविधान के भाग 9 जो कि पंचायतों से सम्बंधित है अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार करता है। पेसा कानून के माध्यम से पंचायत प्रणाली को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार किया गया है।पेसा ग्रामसभा की शक्तियां और आदिवासियों के अधिकार पेसा की धारा 4(ड) यह व्यवस्था करती है कि अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि कब्जा तथा अ.ज.जा के व्यक्ति की गलत तरीके से कब्जा की गई भूमि को वापस दिलाने का अधिकार पेसा ग्रामसभा को है। इस प्रावधान में भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 170 ख में संशोधन कर नई उपधारा 2-क जोड़ी गई है।पेसा की धारा 4 (झ) के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की भूमि अर्जन चाहे वह विकास परियोजना के लिए हो या किसी भी प्रकार की निर्माण भूमि पुनर्वास की विस्तृत जानकारी पेसा ग्रामसभा को अवगत कराया जाना अनिवार्य है।लघु वनोपज की संग्रहन, मूल्य निर्धारण व विक्रय की शक्ति । पेसा अधिनियम की धारा 4 (ड)(पप) में यह प्रावधान है कि पेसा ग्रामसभा को गौण वनोपज (लकड़ी को छोड़कर सभी वनोउत्पाद) की संग्रहन,मूल्य निर्धारण व विक्रय(नीलामी) करने की शक्ति प्राप्त है।
लक्ष्मी कुमार जायसवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि वनाधिकार कानून के अंतर्गत ब्यक्तिगत वनाधिकार इनमे वन भूमि में कृषि प्रयोजननों हेतु उपयोग की गयी जमीन मवेसी रखने, खलिहान,फसल कटाई के बाद के काम,उपज के भंडारण आदि उपयोग की गई जमीन शामिल हो ,वनाधिकार पत्र के लिए आवेदन वनाधिकार समिति से भरे हुए प्रपत्र को प्राप्त कर उसकी पावती लेना अनिवार्य रहे,बाद में किसी भी प्रकार से आपत्ति होने पर रखे हुए पावती के आधार में प्रस्तुत किया जा सके।
वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 5 के तहत गांव की वनों को सुरक्षा संवर्धन नियंत्रण की सामुदायिक दावा की शक्ति।पेसा एक्ट की धारा 4 (क) (ख) के अनुसार परम्परागत कानूनों सामाजिक, धार्मिक रूढ़ियों, प्रथाओं और सामुदायिक संसाधनों का परम्परागत प्रबंधन तकनीकों का आदिवासी जीवन में केंद्रीय भूमिका की पहचान करना और उन्हें अनुसूचित क्षेत्रों में स्वशासन की मूलभूत सिद्धान्त बनाये रखना। संवर्धन संरक्षण में पेसा ग्रामसभा को एकाधिकार है ।
अमृका प्रसाद साहू जी ने संस्था के कार्य व उद्देश्य पर फोकस करते हुए कार्यक्षेत्र के ग्रामों से उपस्थित लोगों को सामुदायिक वनाधिकार प्राप्त क्षेत्र में ग्राम वन प्रबंधन समिति निर्माण व वन प्रबंधन समिति के कार्यो पर वर्णन करते हुए जंगल के संरक्षण संवर्धन करने हेतु नियामावली तैयार कर गाँव की जंगल प्राप्त क्षेत्र के लिए योजना निर्माण किया जाना जिस पर ग्राम सभा के सदस्यों को प्रबंधन योजना तैयार कर कार्य करने के लिए सन्देश दिया साथ ही पेसा कानून के तहत छत्तीसगढ़ राजपत्र प्रकाशित क़ानूनी प्रावधानों के अंतर्गत ग्राम नए सभा गठन, ग्राम सभा की संरचना एवं गठन , ग्राम सभा की शक्तियाँ एवं कार्य ,ग्राम सभा अध्यक्ष,ग्राम पंचायत सचिव का ग्राम सभा के प्रति कर्तब्यो एवं दायित्व पर जानकारी को विस्तार से प्रकश डाला गया इस कार्य को बढ़ाने हेतु समुदाय को आगे आने की जरूरत है, अतः आज हम सभी वन प्रबंधन,वनाधिकार,व पेसा कानून,पर हो रहे जिला स्तरीय कार्यशाला पर संकल्प लें कि हम अपने एकता व संगठन को शसक्त बनाते हुए विलुप्त के कगार पर खड़े वनोपजो को पुनः स्थापित कर वनो की संख्या में बृद्धि करने निरंतर प्रयासरत रहेंगे |
संस्था के कार्यकर्ता शारदा साहू ने जंगल बचाने के लिए एक गीत प्रस्तुत कर लोगो को संदेश दिया कि जंगल से हमारा गहरा नाता है इसे संयोज कर रखना है ।जल जंगल के महत्व पर जानकारी देते हुए कहा की सामुदायिक दावा एवं व्यक्तिगत वनाधिकार ग्राम वनाधिकार समिति के माध्यम से ग्राम सभा के द्वारा किया जा सकता है ,इसमें सामुदायिक वन संसाधन में ग्राम सभा वनाधिकार समिति के द्वारा दावा प्रस्तुत किया गया सभी साक्ष्य पूर्ण किया हो ,जो की पड़ोस गांव के वनाधिकार समिति ग्राम बुजुर्गों की साक्ष्य, जंगल भ्रमण जीपीएस के दौरान गांव के सीमाओ से शामिल वनाधिकार की उपस्थिति अनिवार्य जिसमें अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया हो ,व्यक्तिगत वनाधिकार पत्र हेतु पात्र वही व्यक्ति होंगे जो कि 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व वन भूमि का उपयोग उपभोग करता हो जिसके दौरान उन्हें खेती कार्य, एवं मालिकाना हक के लिए आवेदन वनाधिकार समिति के समक्ष आवेदन किया जा सकता है ,जो की ग्राम सभा में प्रस्तुत अनुमोदन कर एस डी एम कोटा कार्यालय आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है ,उसके उपरांत उप खंड स्तरीय समिति द्वारा सभी दस्तावेज की जांच कर गठित जिला स्तरीय समिति के द्वारा समीक्षा कर वनाधिकार पत्र वितरण करने का अंतिम निर्णय होगा ।
संसाधनो का उपयोग व संरक्षण के लिए वनो से मिलने वाले वनोपज जैसे चार तेंदू हर्रा बहेरा आँवला महुआ आदि उत्पादो को संरक्षित करके अपने आय में बृद्धि किया जा सकता है। किंतु वर्तमान मे वन उत्पादो की घटती मात्रा तथा वन संसाधनो का अनावश्यक दोहन एक बहुत बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है, जो कि समस्त जीव जगत के अस्तित्व के लिए खतरा है , इन समस्याओं से बचने के लिए व अपने वन क्षेत्रो में बृद्धि करने हमे समुदायिक वन प्रबंधन कार्य करना आवश्यक है इसके लिए ग्राम सभा वन प्रबंधन समिति का गठन करना होगा जिसमें समान रूप से ग्राम के महिला एवं पुरुषो की भागीदारी सुनिश्चित होना जरूरी है जिससे वन संपदा को शुरक्षा मिल सके इसके अलावा पेड़ो की हो रही अंधाधुंध कटाई को रोकने आग से वनो की रक्षा पशुओं की चराई आदि को रोकना ग्राम सभा के द्वारा संभव रहेगा |
श्री रियाज अहमद जुंजानि पूर्व उपसरपंच ने कहा कि सामुदायिक वनाधिकार हमे वनो के संरक्षण ,सवंर्धन करने का अधिकार देता है ,बड़ी खुशी की बात है कि ग्राम सभा कंचनपुर को सी एफ़ आर दावा प्राप्त हो चुका है हमे सामुदायिक वन संरक्षण योजना बनाकर अपने जंगल का सुरक्षा करनी होगी हम अपने जंगल के घनत्व को बढाने एवम विलुप्त के कगार पर खड़े वनोपजों को पुनर्स्थापित करने तैयार है |
एवं खिलावन यादव कार्यक्रम को सफल संचालन व आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमें सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन , पेसा ,वनाधिकार अधिनियम पर जो जानकारी मिला है उसे आत्मसात करते हुए अपने अपने ग्राम वन परिक्षेत्र में सभी के सहयोग से जंगल का जतन करने का संकल्प लेना होगा |
उक्त कार्यक्रम में श्री कमलेश्वर भानु श्री अरविन्द,हामिद मोहम्मद, सूरज सिंग,भागवत सिंह,राजकुमार मरकाम,करण,इतवार सिंह जेठू राम,पुरुषोत्तम, मिलाप राम ,रामजी जसवंत, सुमेंद सिंह सनित कुमार,, जवाहर, शिवकुमार, हरिशंकर , रामु सुनहर सिंह ,दुर्गा बाई ,सिया, पार्वती, शकुंतला ममता ,धर्मशिला, अशोका, गुलपा रजनी आशा, गीता बाई सुमित्रा, हेमा, पार्वती ,सम्पति बाई ,नंद कुमारी
25 गांव से शामिल ग्राम करका , जोगीपुर,बैगापारा, मोहतरा,केवरा पारा, पटेता,डिडौल (नर्मदा),करपीहा, नागचुवा, बांसाझाल,धनराश, रतखण्डी, बरर ,नवापारा, मझवानी, कुआजति, बारीडीह ,,कंचनपुर ,छिरहा पारा,ग्राम के महिला समूहों व ग्रामीण जन का सहयोग रहा |