तहसीलदार के ऊपर कोटवारी जमीन के नामांतरण का लगा आरोप, कोटवारी जमीन का भूमाफिया के साथ मिलीभगत में हुआ खेल

तहसीलदार के ऊपर कोटवारी जमीन के नामांतरण का लगा आरोप, कोटवारी जमीन का भूमाफिया के साथ मिलीभगत में हुआ खेल

बिलासपुर–छतीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में भूमाफियों के आगे आज भी राजस्व विभाग के अधिकारी अपने आर्थिक लाभ के लिए शासकीय दस्तावेजों में दर्ज शासकीय भूमि को नामांतरण करने के  खेल में आज भी मशगूल है।आपको बताते चले की बिलासपुर जिले के सकरी क्षेत्र में स्थित ग्राम घुरू में शासकीय कोटवारी जमीन को अपने निजी स्वार्थ के चलते बेशकीमती सरकारी जमीन को नामांतरण कर दिया गया।जबकि अभी हाल में ही राज्य शासन के द्वारा पूरे प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर को पत्र जारी कर शासकीय जमीनों के दस्तावेज एकत्र करने और उसे सरंक्षित करने का पत्र जारी किया गया।इस पत्र के जारी होने के बाद जिला कलेक्टर के द्वारा अपने अपने क्षेत्र के सभी तसीलदारो को भी शासन से आए पत्र का हवाला देकर शासकीय जमीनों को सरंक्षित और उन शासकीय जमीनों कि सूची तैयार करने के लिए कहा गया।

लेकिन शासन स्तर पर जारी पत्र के बाद भी तहसीलदार के ऊपर भूमाफिया के साथ मिली भगत कर कोटवारी जमीन के नामांतरण किए जाने  की लिखित शिकायत जिला कलेक्टर को की गई।इस शिकायत में शिकायतकर्ता ने अपने नाम को छिपा कर यह उल्लेखित किया की ग्राम घुरू के खसरा नंबर 442/1 में से रकबा 0.77 एकड़ भूमि को कोटवार के द्वारा भूमाफियों को अस्सी लाख रुपए में बेच दिया गया है।उक्त शासकीय जमीन को तसीलदार ने भूमाफियों के नाम पर नामांतरण भी कर दिया गया।जबकि उक्त शिकायत में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय के आदेश का  हवाला भी दिया गया की शासकीय जमीन जो बिक चुकी है।उसकी रजिस्ट्री शून्य किया जाए।उसके बाद भी तहसीलदार के द्वारा नामांतरण कर दिया गया।