अधिकारियों के लिये कोल इण्डिया बना दूधारू गाय-विनोद सिन्हा

*निर्मल जैन ब्यूरो चीफ 7000727330 कोरबा। सामाजिक कार्यकर्ता व कोयला श्रमिक सभा के पूर्व केंद्रीय उपाध्यक्ष विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि वर्तमान में कर्मचारियों के वेतन समझौते को लेकर कोल इंडिया के अधिकारियों द्वारा लगाए गए अड़ंगा से यह साफ हो गया है कि 20 वर्ष पूर्व अधिकारियों ने केंद्र सरकार को गुमराह करते हुए आउटसोर्सिंग का खाता तैयार किया जिसमें दिखाया गया कि कर्मचारियों द्वारा कोयला खनन में जितनी लागत लग रही है उसकी आधी लागत में ठेका माध्यम से कोयला का उत्पादन किया जा सकता है इसी आधार पर एक सोची समझी रणनीति के तहत कोल इंडिया स्थापना के समय 8 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे जो आज घटकर ढाई लाख के आसपास हो गए हैं वहीं दूसरी ओर आउटसोर्सिंग में भी अधिकारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है जबकि कर्मचारियों की संख्या शून्य की और अग्रेसर है इसलिए जिस अनुपात में कर्मचारियों की संख्या घट रही है उसी अनुपात में अधिकारियों की संख्या भी घटनी चाहिए क्योंकि अधिकारी मजदूर विरोधी कार्य कर रहे हैं। सिन्हा ने आगे बताया कि कोल इंडिया के अधिकारी कर्मचारी वेतन समझौते पर विवाद खड़ा कर कर्मचारियों के सुविधाओं पर सवाल उठाना यह प्रतीत होता है कि अधिकारी जल्द से जल्द कोल इंडिया को पूर्ण रूप से आउटसोर्सिंग की ओर ले जाना चाहते हैं क्योंकि आउटसोर्सिंग होने से उन्हें वेतन से अधिक कमीशन मिलेगी तथा यूनियनों का काम भी शून्य हो जाएगा इसलिए अधिकारी जानबूझकर वेतन समझौता पर अड़ंगा लगा रहे हैं जबकि वेतन समझौते से संबंधित प्रक्रियाएं पूरा करना अधिकारियों का दायित्व था न कि कर्मचारी व यूनियनों का यह विवाद खड़ा करना एक बहाना है असली मकसद कोल इंडिया को पूर्ण रूप से आउटसोर्सिंग के हवाले करना है। सिन्हा ने आगे बताया कि कोल इंडिया के सभी ट्रेड आउटसोर्सिंग के जरिए ठेका श्रमिकों को कर्मचारियों के बराबर सर्व सुविधा दिलाने के लिए संघर्ष व प्रयास करें तब जाकर ठेका श्रमिक को विश्वास में लेकर खदानें बंद कराई जा सकती है खदानों में हड़ताल की प्रक्रिया शुरू होने से अधिकारियों के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।