हिंदू राजाओं ने बसाया मालदीव को, लेकिन अब वहां मिलती है केवल मुस्लिमों को ही नागरिकता, अब भारत को दिखाता है आंखें

हिंदू राजाओं ने बसाया मालदीव को, लेकिन अब वहां मिलती है केवल मुस्लिमों को ही नागरिकता, अब भारत को दिखाता है आंखें

दक्षिण भारत के राजाओं ने कभी मालदीव को बसाया था. वहां राजा से लेकर प्रजा तक हिंदू थी. फिर ये कैसे इतना कट्टर मुस्लिम देश बन गया कि वहां और किसी धर्म का शख्स नागरिकता नहीं पा सकता, वो केवल मुस्लिमों को ही मिलती है. और तो और ये देश हमेशा से उसके दोस्त रहे भारत को आंखें दिखा रहा है

समय समय पर भारत की मदद के बाद भी मालदीव के सत्ताधारी नेताओं ने वहां भारत विरोधी भावनाएं भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हाल में ये सबकुछ तब से फिर ज्यादा हो गया है जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप गए. इसके बाद भारत का ये हिस्सा पर्यटन का हॉट प्लेस बनकर उभरने लगा, इसने मालदीव सरकार के कुछ मंत्रियों को ऐसा बौखला दिया कि वो बगैर सोचे समझे उस भाषा का इस्तेमाल करने लगे, जो नहीं करनी चाहिए

मालदीव बेशक भारत का पड़ोसी देश है लेकिन इस पर चीन की नजर पड़ने के बाद से हालात बदलने लगे हैं. कुछ समय पहले जब यहां सरकार बदली तब से भारत विरोधी हालात ऐसा हो गए कि मालदीव ने वहां तैनात भारतीय सैनिकों को वापस लौटा दिया. ये देश लगातार चीन की ओर झुक रहा है और भारत से दूरियां बढ़ाने की कोशिश में लगा है. हैरानी की बात है कि मालदीव वही देश है, जो कभी हिंदू राजाओं द्वारा शासित था, इसे बसाने वाले दक्षिण भारत के हिंदू राजा थे।

मालदीव करीब 1200 द्वीपों का समूह है. ये हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है. ये भारत के बहुत करीब है. मालदीव के 200 द्वीपों पर ही स्थानीय आबादी रहती है जबकि 12 द्वीप सैलानियों के लिए हैं, जहां रिसोर्ट, होटल और सैलानियों के घूमने के लिहाज से सुविधाएं हैं. यहां हर साल करीब छह लाख सैलानी आते हैं. जिसमें सबसे ज्यादा सैलानी भारत से जाते हैं और उसकी इकोनामी में खास भूमिकाक निभाते हैं. मालदीव में सात प्रांत हैं. हर द्वीप का प्रशासकीय प्रमुख, द्वीप मुख्याधिकारी (कथीब) होता है, जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करता है