*किसानों को मिली रसायनिक कीटनाशक से मुक्ति गौमूत्र कीटनाशक बना बेहतर विकल्प, अब तक 13हजार लीटर गोमूत्र की खरीदी*
बिलासपुर।छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि की लागत को कम करने, विष रहित खाद्यान्न के उत्पादन तथा जैविक खेती को बढ़ावा देने की लगातार सार्थक पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर गोठानों में गोमूत्र की खरीदी 4 रूपए प्रति लीटर की दर से की जा रही है। रासायनिक कीटनाशकों का खेती में कम उपयोग करने के उद्देश्य से गोमूत्र खरीदी की प्रभावी योजना शुरू की गई है। इस योजना से लोगों को आजीविका का जरिया मिल गया है। जिले के दो गोठानों शिवतराई एवं पौंसरी में चार रूपये प्रति लीटर की दर से लगभग 13 हजार लीटर गौमूत्र खरीदी कर 7226 लीटर वृद्धिवर्धक एवं 5183 लीटर कीट नियंत्रक निर्माण किया गया, जिसे विक्रय कर 4 लाख 24 हजार 100 रुपए की आमदनी इन गोठानों को हुई है।गोमूत्र कीटनाशक बाजार में मिलने वाले पेस्टीसाइड का बेहतर और सस्ता विकल्प है।
इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है। विकासखण्ड कोटा के शिवतराई गोठान में मां महामाया स्व सहायता समूह की गोमूत्र से जीवामृत वृद्धिवर्द्धक और ब्रम्हास्त्र कीटनाशक बना रही है। महिलाओं ने यहां जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र बनाया है। महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे वृद्धिवर्धक एवं कीट नियंत्रक फसलों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसी प्रकार विकासखण्ड बिल्हा के पौंसरी गोठान में श्रद्धा स्व सहायता समूह की महिलायें भी गोमूत्र से कीटनाशक बनाने में जुटी हुई है। समूह की महिलायें कहती है कि अभी तक हम केवल गोबर और उससे बने उत्पाद की बिक्री कर रहे थे, लेकिन अब गोमूत्र का उपयोग कर आय के नये स्त्रोत का सृजन हुआ है। जीवामृत के छिड़काव से पौधे में वृद्धि होगी। इसी प्रकार नीम, धतूरा, बेसरम, ऑक, तथा सीताफल और गोमूत्र के मिश्रण से ब्रम्हास्त्र बनाया गया है। इसका प्रयोग खेतों में कीटनाशक के रूप में किया जा रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट