*प्रदेश में धान खरीदी का हाल: धान बेचने पिछले 24 दिनों से किसान लगा रहे चक्कर, सोसाइटियों में मौखिक आदेश का हवाला देकर नहीं की जा रही धान की खरीदी, बीज निगम में पंजीकृत किसान परेशान*

*प्रदेश में धान खरीदी का हाल:  धान बेचने पिछले 24 दिनों से किसान लगा रहे चक्कर, सोसाइटियों में मौखिक आदेश का हवाला देकर नहीं की जा रही धान की खरीदी, बीज निगम में पंजीकृत किसान परेशान*

रायपुर। धान खरीदी को लेकर इन दिनों प्रदेश भर के किसान पशोपेश में हैं बीज निगम में पंजीकृत किसान धान बेचने पिछले 24 दिनों से सोसाइटियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन एक मौखिक आदेश का हवाला देकर उनके धान को खरीदने से साफ मना कर दिया गया है। किसानों द्वारा प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी उन्हें इस विकट समस्या से निजात मिलते हुए नहीं दिख रहा। दरअसल यह पूरा खेल प्रदेश में धान की खरीदी को नियंत्रित करने के लिहाज से प्रशासन में बैठे आला अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है जिससे धान खरीदी को कम कर राज्य के वित्तीय भार पर लगाम लगाया जा सके। राजस्व विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों की भूमि का मुआयना कर कृषि रकबा को कम करना भी इसी खेल का हिस्सा है। इस बार इस खेल के चपेट में बीज निगम के पंजीकृत प्रदेश भर के लगभग दस हजार किसान आ गए, जिन्हें सोसाइटी में धान बेचने के लिए मना कर दिया गया है। अब इस मौखिक आदेश के कारण जिले भर में पंजीकृत किसानों के 1845 हेक्टेयर भूमि का लगभग 90.000 हजार क्विंटल धान खुले में पड़ा हुआ है जो किसानों के लिए बहुत चिंता की बात है। और अब इस पूरे मामले में किसान किसी तरह से विधिक रास्ता अख्तियार ना कर सके अतः उन्हें लिखित में कुछ भी देने से विभाग के अधिकारी बच भी रहे हैं।

बीज निगम के नियम सख्त और सोसायटी का विकल्प भी बंद- बीज निगम में धान बेचना किसानों के लिए कभी भी आसान नहीं रहा है, इस प्रक्रिया में पंजीकृत किसानों के धान का चार पांच चरणों में जांच कराई जाती है। पहले चरण में बीच निगम के भारसाधक अधिकारी पहले किसानों के खेतों में जाकर दो बार सैंपल की जांच करते हैं। दूसरे चरण में जब किसान अपने फसल को लेकर बीच संग्रहण केंद्र पहुंचता है तब उनके द्वारा लाए गए बीजों की ग्रेडिंग की जाती है। तीसरे चरण में धान को प्रजनन परीक्षण के लिए लैब भेजा जाता है। उक्त प्रक्रिया के किसी भी चरण में बीज हेतु अमानक पाए जाने पर किसान के धान को रिजेक्ट कर दिया जाता है। ऐसी परिस्थिति में किसान के पास सहकारी सोसायटी में धान बेचने का विकल्प खुला रहता है इस बार अतिवृष्टि और बीमारियों के प्रकोप के चलते किसान फसलों की रख रखाव नहीं कर पाए वे खुद स्वीकार कर रहे हैं कि इस बार उनका धान बीज के लिहाज से अमानक स्तर के है।

धान खरीदी मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी पर सवालिया निशान-

धान खरीदी का यह मामला प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के लिए यह बैठा बिठाया मुद्दा है। लेकिन इस मामले में विपक्ष के नेताओं द्वारा किसी प्रकार का एक्शन नहीं लिया जाना समझ से परे है। कुछ दिन पहले ही धान खरीदी को लेकर कांग्रेस नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए थे पर इस ज्वलंत मुद्दे पर किसी नेताओं का ध्यान नहीं गया किसान लगातार प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन दे रहे हैं परन्तु इस मुद्दे को भुनाने में कांग्रेस पार्टी के नेताओं की उदासीनता विपक्ष की भूमिका पर सवालिया निशान है,आपको बता दें धान खरीदी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कल पूरे प्रदेश में ब्लॉक स्तरीय धरना प्रदर्शन है।

ब्यूरो रिपोर्ट