*होली एक्सक्लूसिव:एक तरफ महतारी वंदन, दूसरी ओर शराब में डूबे नंदन*

होली एक्सक्लूसिव ( प्रसून चतुर्वेदी अधिवक्ता)
सरकार ने साय साय खूब वादे निभाए ,सबका खूब ध्यान भी रखा ऐसे में भला 'शराबी' क्यों वंचित रहे ? भई उनके भी कुछ मौलिक अधिकार हैं जो उन्हें भी प्राप्त होने चाहिए आखिर सरकार किसी की भी हो ख़ज़ाना तो उनसे ही भरता और कोविड जैसे राहुकाल में वो ही रक्षक साबित होते हैं ; पिछली सरकार के लुटे पीते ख़ज़ाने में राहत इन्हीं से तो मिली हैं वैसे एक शराबी कल्याणकारी योजना भी बजट में होनी चाहिए थी, जिसमें सर्वप्रथम ऐसे लोगों को विशिष्ट दर्जा एवं सुविधाएं प्राप्त होना चाहिए (आखिर सरकार के राजस्व की रीढ़ हैं), इनके आधार को मदिरालय (शराब दुकानों) पर लिंक होना चाहिए जिससे सरकार की एक उपलब्धि और हो सके कि इतने लोग वर्ष भर में गरीबी रेखा से ऊपर आ गए, चूंकि ये हमारे दानदाता हैं अपने शरीर के साथ अपना सर्वस्व दांव पर लगा कर समाज /राज्य के विकास में योगदान देते हैं अतः इन्हें किसी भी प्रकार से सपरिवार सरकारी छूट, लाभ, सब्सिडी आदि प्रदान नहीं करना चाहिए, इनके योगदान को कमतर नहीं आंकना चाहिए ,ऐसे भामाशाहों का ये अपमान ही हैं। वैसे इनकी प्रगति और प्रोत्साहन से तंबाकू निषेध मुहिम वाले जो समाचार पत्रों, सिनेमा,एफएम आदि पर चल रही हैं उससे व्यथित होकर अन्य सभी सूखे नशे को संगठित करने की योजना बना रहे हैं । ये बात सही भी हैं कि यदि हम ऐसा पहला राज्य बन जाए जहां सरकारी भांग की दुकान पर चरस ,गांजा,अफ़ीम आदि भी उपलब्ध होने लगे तो हमें राजस्व प्राप्ति के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता, प्रतिव्यक्ति आय श्रेष्ठतम होगी।इतने सारे लाभों को ध्यान में रखते हुए सरकार को ड्राई डे की यदि औपचारिकता रखनी ही हैं तो केवल दो दिन ही रखें 26 जन. और 15 अगस्त ताकि शराबी देश के सम्मान में दो दिन सीधे खड़े होकर झंडावंदन कर सके, वैसे सरकार ने पुलिस का भी ध्यान रखा, अगली होली और मुहर्रम आदि मौके पर पुलिस हुड़दंगियों के पीछे कम से कम पसीना तो नहीं बहाएगी।
...✍️ डॉ प्रसून चतुर्वेदी