(ब्यूरो रिपोर्ट आरती वैष्णव),खरसिया
प्रेस और पुलिस को सोनबरसा की सरपंच,मितानिन, और कुछ ग्रामीणों ने किया था गुमराह।
दिया झूठा बयान,बनाई झूठी कहानी,
*सच्चाई छूपाने के लिए रची थी महिला सरपंच सहित कई लोगो ने झूठी मनगढ़ंत कहानी।
मर गई थी माँ की ममता,जेल जाने के डर से अचानक कैसे जग गई ममता,सोचनीय है?
इस कलयुग में न जाने कैसे कैसे कारनामो को देखना और लिखना सुनना और पढ़ना पड़ता है कभी कभी मन स्तब्ध हो जाता है भोले भाले ग्रामीण कहे जाने वाले लोग इस तरह के गम्भीर अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होते हैं, जिसे कल्पना करना भी ठीक नही लगता है।बहुत ही चिंतनीय है यह सोच समाज के लिए।
2 दिन पूर्व खरसिया विधानसभा के ग्राम सोनबरसा में जंगल मे एक नवजात बच्ची के मिलने की सूचना 112 को हुई,ग्राम सरपंच मितानिन,और सरपंच के चाचा ससुर ने एक स्टोरी पुलिस और प्रेस को बताया कि एक बच्ची सोनबरसा के जंगल मे झरने के पास मेरे चाचा ससुर ने देखा उसके बाद उसे हमारे घर लाये,तब मैंने और मितानिन ने 112 को फोन कर सारी बातें बताई उसके बाद खरसिया अस्पताल में बच्ची का इलाज हुआ।
वही इस पूरे मामले को सोनबरसा ग्राम की महिला बाल विकाश विभाग से सबंधित वे महिलाएं जो गर्भवती और शिशुवती महिलाओं की पूरी जानकारी रखकर पूरे 10 महीने और उसके बाद पोषण आहार देकर स्वास्थ्य और सुरक्षा की औपचारिक कार्यो को पूरा करते है उनकी सूची में अगर ये 40 वर्षीय महिला थी तो सबंधित कार्यकर्ता ने मामले में कोई जानकारी सबंधित विभाग या पुलिस से क्यो छुपाया,पूरे 9 माह महिला घर मे छुपकर तो नही रही होगी।या इस गर्भवती महिला का नाम रजिस्टर में चढ़ा ही नही,और नही चढ़ा तो क्यों? बहुत प्रश्न है।
इस कहानी को सोनबरसा की महिला सरपंच और ग्राम मितानिन ने प्रेस और पुलिस दोनों को बताया,और झूठी कहानी से अपनी खूब वाह वाही बटोरी वही छेत्र लेकिन आज जब खरसिया पुलिस ने सख्ती से पूछताछ किया तो फुलसाय ने सारा कच्चा चिठ्ठा खोल दिया की पूर्व में बताई गई सारी कहानी झूठी व बनावटी है महिलाएं माँ होकर भी नही पिघली न उन्हें दया आई।गाँव के ही 40 वर्षीय महिला के साथ फुलसाय के पुत्र का गलत सबन्ध था जन्म के बाद महिला ने लोक लाज के भय से बच्ची को अपने प्रेमी के घर छोड़ने गई जहां संजय राठिया नही था उसकी अनुपस्थिति में बच्ची को वह उसके पिता के पास(सरपंच के चाचा ससुर के पास) छोड़ आई,।
फिर क्या था पूरी टीम की फर्जी स्क्रिप्ट तैयार हो गई सभी ने मिलकर बच्ची को असुरक्षित जगह जंगल मे छोड़ने की योजना बना लिया जिस बात से उस बच्ची की निर्मोही माँ भी अनजान नही थी।जिसने अय्याशी करने के बाद बदनामी का सोच बच्ची को मौत के मुंह मे फैंक दिया..अब जब पूरा खुलासा हो गया है तो इस निष्ठुर माँ की ममता जग उठी है कह रही मैं ही रख लूंगी बच्ची को मुझे दे दो साहब।अब जब झूठ पकड़ में आ गया तो वही माँ जो उस मासूम को रोता बिलखता छोड़ गई थी आज पुलिस अधिकारियों के समक्ष अचानक बहुत ही ममता दिखाने का झूठा प्रयास कर रही है।तब कहाँ गई थी ममता जब बच्ची को छोड़ आई थी असुरक्षित जगह में।
ऐसी निर्मोही महिला को बच्ची को सौप देना बहुत बड़ी गलती होगी जिसने आगे पीछे सोचे बिना उसे मरने के लिए जंगल मे छोड़ दिया था यह सोचकर कि उसकी बदनामी होगी,वही पूरी टीम ने मिलकर पुलिस और मीडिया को धोखे में रखा कि उन्होंने उस बच्ची को 112 को सौंपा जो अचानक उन्हें जंगल मे मिली थी।जबकि ये उनकी साजिश थी
निश्चित तौर पर रायगढ़ पुलिस अधीक्षक महोदय के कड़े निर्देश के बाद खरसिया पुलिस ने एस डी पी पटेल सर और थाना प्रभारी साहू जी ने अच्छी टीम के साथ पूरे मामले से बहुत कम समय मे ही पर्दा उठा दिया। मामले की गम्भीरता को देखते हुए पूरी टीम ने बहुत मेहनत किया और सारे आरोपी आज थाने तक पहुँच पाए इसके लिए कप्तान सर के साथ पूरी टीम प्रदीप तिवारी,सरोजनी राठौर किशोर राठौर सभी बधाई के पात्र हैं।
अब सारा मामला साफ होने के बाद सभी अभियुक्तो के ऊपर कड़ी कार्यवाही करने की आवश्यकता है,जिन्होंने दुधमुंही बच्ची के जान के साथ खेला उनकी जगह सिर्फ और सिर्फ जेल ही होनी चाहिए,ऐसे अपराध को तो भगवान भी माफ नही करेंगे फिर भी तो हम इंसान है।सभी के ऊपर संवैधानिक कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।बच्ची की सुपुर्दगी ऐसे हांथो में न जाये जहां उसका भविष्य अंधकारमय हो जाये।।