*खरसिया,कुनकुनी के 300 एकड़ आदिवासी जमीन घोटाला मामले में उच्चन्यायालय ने छत्तीसगढ़ शासन से मांगा जवाब*
खरसिया:-(भूपेंद्र वैष्णव),300 एकड़ कुनकुनी जमीन घोटाला तात्कालिक सरकार के समय के घोटाले पर अब तक भूपेश सरकार ने क्या कार्यवाही की. हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
सामाजिक कार्यकर्ता गांधीवादी नेता छत्तीसगढ़ संग्राम सेनानी आरटीआई कार्यकर्ता श्री गोपाल सिंह जूदेव के द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में दिया निर्देश
1 अप्रैल तक राज्य सरकार से मांगा जवाब कि पूर्व राज्य सरकार के समय हुए वृहद जमीन घोटाले में आखिर आजतक वर्तमान सरकार ने क्या कार्यवाही किया है।
छत्तीसगढ़ ही नही अपितु देश के सबसे बड़े 300 एकड़ आदिवासी जमीन घोटाले मामले में आखिर दोषी रसूखदार राजनेताओ, अधिकारियों, भूमाफियाओं एवं उद्योगपतियों के विरुद्ध अबतक क्या कार्यवाही कि गई है। चूंकि उक्त मामले में 7 सदस्यीय जांच समिति के द्वारा जांच रिपोर्ट तात्कालिक कलेक्टर अलरमेल मंगई डी को प्रस्तुत किया गया था। उक्त जांच कमेटी में प्रमुख नोहर राम साहू डिप्टी कलेक्टर रायगढ़ के अगुवाई में ख़रसिया एसडीएम बी एस मरकाम,सीईओ जनपद खरसीया धुर्वे,पंजीयक के के प्रधान एवं अन्य लोग सम्मिलित थे।
जांच समिति के रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर रायगढ़ द्वारा तत्कालीन पटवारी श्रीमती करुणा साहू ,हेमनिधि पटेल पटवारी,नागवंशी को बर्खास्त किया गया था वहीं तात्कालीन ग्राम पंचायत सचिवों को भी बर्खास्त किया गया था। उक्त घोटाले में पूर्व तहसीलदार अतुल शेट्टे एवं नायाब तहसीलदार प्रफुल्ल रज्जक को निलंबित किया गया था। पूर्व उप पंजीयक खरसिया के के प्रधान को भी निलंबित किया गया था।
उक्त मामले की जांच प्रतिवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु राज्य सरकार को प्रेषित किया गया था। किंतु पूर्व राज्य सरकार के द्वारा रसूखदार राजनेताओं एवं भूमाफियाओं को संरक्षण देने के उद्देश्य से उक्त मामले में कार्यवाही के बजाय उसे लीपापोती कर ठंढे बस्ते में डाल दिया गया था।
उक्त मामले को लेकर पीड़ित आदिवासियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा राज्य एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भी संज्ञान में ला कर न्याय की गुहार लगाई गई थी। जिसपर राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की भूमिका भी संदिग्ध रही।
उक्त मामले में पीड़ित आदिवासियों को न्याय दिलाने लगातार सड़क से लेकर संसद तक धरना,प्रदर्शन,सत्या ग्रह का रास्ता अपनाया गया किन्तु कहीं से न्याय मिलता न देख माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के माध्यम से न्याय दिलाने की गुहार लगाया गया था। जिसपर मुख्य न्यायधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा जवाब मांगा है।